खुशबू किसे नहीं पसंद? आज के जमाने में जब भी हम किसी बाजार या मॉल (Mall) आदि जाते हैं, तो वहां पर रखे अनेकों प्रकार के इत्र हमारा मन मोह लेते हैं। सुगंध से मनुष्य का रिश्ता अत्यंत ही पुराना है और यही कारण है कि हमारे प्राचीन शहरों में पारंपरिक इत्र के उद्योग दिख ही जाते हैं। जौनपुर अपने इत्र के उत्पाद के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है और यहाँ का इत्र दुनिया भर में निर्यात किया जाता है। जौनपुर में इत्र बनाने के लिए बड़े पैमाने पर गुलाब की खेती की जाती है। जौनपुर में गुलाब बड़े पैमाने पर उपजता है और यही कारण है कि यहाँ पर जो भी गुलाब उत्पादित होते हैं, उनमे से एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश राज्य के अन्य हिस्सों सहित भारत भर में भेजा जाता है।

जौनपुर जिले में विभिन्न प्रकार के गुलाबों की खेती की जाती है, जिसमे संकर प्रजाति से लेकर देशी गुलाब तक शामिल हैं। गुलाब की विश्वभर में 100 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं, जिनको यदि देखा जाए तो इसमें से अधिकतर एशिया (Asia) की मूल नस्लें हैं। गुलाब हम मनुष्यों के मध्य में कई लाखों सालों से विद्यमान है, पुरातत्व की जानिब से यदि देखें तो गुलाब का सबसे प्राचीनतम अवशेष पाषाण कालीन समय में दिखाई देता है, कोलोराडो (Colorado) में इसी काल से सम्बंधित गुलाब के पत्ते प्रकाश में आये हैं, जिनकी तिथि 35 से 32 मिलियन (Million) साल है। यदि कला के विषय में बात करें तो एशिया महाद्वीप में गुलाब के पत्तों का सबसे पहला कलात्मक प्रयोग 3000 ईसा पूर्व में देखने को मिलता है। रोमन (Roman) साम्राज्य में भी गुलाब का एक अनूठा महत्व था तथा उन्होंने गुलाब के बगीचों का निर्माण कराया। मूल अमेरिकी (Native American) निवासियों ने गुलाब का प्रयोग औषधि के लिए किया था, जिसमे वे विभिन्न चिकित्सीय अनुसंधान के लिए गुलाब के विभिन्न भागों का प्रयोग किया करते थे।

गुलाब का इत्र बनाने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है वह है गुलाब का तेल। गुलाब का तेल बनाना एक अत्यंत ही कठिन प्रक्रिया है तथा यह भाप के माध्यम से निकाला जाता है। गुलाब का तेल निकालने के लिए अत्यधिक गुलाब की आवश्यकता होती है, मात्र एक बूँद गुलाब तेल के लिए करीब 60 गुलाबों की आवश्यकता होती है तथा 100 किलो के करीब गुलाब की पंखुड़ियों से करीब 28 ग्राम तेल निकलता है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि गुलाब का तेल कितना महंगा होता होगा। गुलाब का तेल, इत्र में बहुत ही अधिक मात्रा में मिलाया जाता है, गुलाब के तेल के लिए प्रमुख दो प्रजातियों के गुलाबों का प्रयोग किया जाता है।

1. रोजा डेमसेना (Rosa Damascena) (यह प्रजाति भारत में पायी जाती है) और
2. रोजा सेंटीफोलिया (Rosa Centifolia)।
इन्ही उपरोक्त लिखित प्रजातियों से गुलाब का तेल बड़ी संख्या में निकाला जाता है। गुलाब के तेल में जो प्राप्त रसायन हैं, उनमे बीटा-डेमस्केनोन (Beta-Damascenone) और बीटा आयनोन (Beta-Ionone) हैं, जो की गुलाब के तेल की गुणवत्ता को प्रस्तुत करते हैं। गुलाब में नेरोल(Nerol), फिनाइल एथिल अल्कोहल (Phenyl Ethyl Alcohol), बेंजाइल अल्कोहल (Benzyl Alcohol), रोज ऑक्साइड (Rose Oxide) आदि रसायन भी पाए जाते हैं। ये तमाम घटक मिल कर गुलाब को एक अत्यंत ही तीव्र और जानी पहचानी सुगंध प्रदान करते हैं। आज जौनपुर गुलाब के तेल और उत्पाद के लिए जाना जाता है तथा यह विद्या कितने ही लोगों को रोजगार प्रदान करने का प्रमुख साधन बन चुकी है। जौनपुर से होने वाला यह आयात जौनपुर के कुल सकल आय पर भी एक महत्वपूर्ण उछाल देने का कार्य करता है।